धारा 105 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 105 के अनुसार, सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार तब प्रारंभ होता है, जब सम्पत्ति के संकट की युक्तियुक्त आशंका प्रारंभ होती है । संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार, चोरी के विरुद्ध अपराधी के संपत्ति सहित पहुंच से बाहर हो जाने तक अथवा या तो लोक प्राधिकारियों की सहायता अभिप्राप्त कर लेने या संपत्ति प्रत्युद्धॄत हो जाने तक बना रहता है । संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार लूट के विरुद्ध तब तक बना रहता है, जब तक अपराधी किसी व्यक्ति की मॄत्यु या उपहाति, या सदोष अवरोध कारित करता रहता या कारित करने का प्रयत्न करता रहता है, अथवा जब तक तत्काल मॄत्यु का, या तत्काल उपहति का, या तत्काल वैयक्तिक अवरोध का, भय बना रहता है । संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार आपराधिक अतिचार या रिष्टि के विरुद्ध तब तक बना रहता है, जब तक अपराधी आपराधिक अतिचार या रिष्टि करता रहता है । संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार रात्रौ गॄह-भेदन के विरुद्ध तब तक बना रहता है, जब तक ऐसे गॄहभेदन से आरंभ हुआ गॄह-अतिचार होता रहता है ।CLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।