धारा 225 आईपीसी (IPC Section 225 in Hindi) – किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा

धारा 225 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 225 के अनुसार, जो कोई किसी अपराध के लिए किसी दूसरे व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में साशय प्रतिरोध करेगा या अवैध बाधा डालेगा, या किसी दूसरे व्यक्ति को किसी ऐसी अभिरक्षा से, जिसमें वह व्यक्ति किसी अपराध के लिए विधिपूर्वक निरुद्ध हो, साशय छुड़ाएगा या छुड़ाने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ; अथवा यदि उस व्यक्ति पर, जिसे पकड़ा जाना हो, या जो छुड़ाया गया हो, या, जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, 1[आजीवन कारावास] से, या दस वर्ष तक की अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध का आरोप हो या वह उसके लिए पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ; 1 1955 के अधिनियम सं0 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा (1-1-1956 से आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित । 2 1870 के अधिनियम सं0 27 की धारा 8 द्वारा अंतःस्थापित । 3 1949 के अधिनियम सं0 17 की धारा 2 द्वारा या आजीवन कठोरश्रम कारावास शब्दों का लोप किया गया । 4 1957 के अधिनियम सं0 36 की धारा 3 और अनुसूची 2 द्वारा या…. के लिए शब्दों का लोप किया गया । 5 1955 के अधिनियम सं0 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा निर्वासन शब्द का लोप किया गया । 6 1949 के अधिनियम सं0 17 की धारा 2 द्वारा (6-4-1949 से) या कठोरश्रम कारावास शब्दों का लोप किया गया । 7 1955 के अधिनियम सं0 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा (1-1-1956 सै) आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित । 8 1870 के अधिनियम सं0 27 की धारा 8 द्वारा अंतःस्थापित । भारतीय दंड संहिता, 1860 45 अथवा यदि उस व्यक्ति पर, जिसे पकड़ा जाना हो या जो छुड़ाया गया हो, या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, मॄत्यु-दंड से दंडनीय अपराध का आरोप हो या वह उसके लिए पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ; अथवा यदि वह व्यक्ति, जिसे पकड़ा जाना हो या जो छुड़ाया गया हो, या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, किसी न्यायालय के दंडादेश के अधीन या वह ऐसे दंडादेश के लघुकरण के आधार पर 1[आजीवन कारावास] 1।।। 2।।। 3।।। या दस वर्ष या उससे अधिक अवधि के कारावास से दंडनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ; अथवा यदि वह व्यक्ति, जिसे पकड़ा जाना हो, या जो छुड़ाया गया हो या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, मॄत्यु दंडादेश के अधीन हो, तो वह 1[आजीवन कारावास] से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, इतनी अवधि के लिए जो दस वर्ष से अनधिक है, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

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