धारा 373 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 373 के अनुसार, जो कोई, किसी नाबालिग (अठारह वर्ष से कम आयु के) व्यक्ति को इस आशय से कि ऐसा व्यक्ति किसी भी आयु में वेश्यावॄत्ति या किसी व्यक्ति से अवैध संभोग करने के लिए या किसी विधिविरुद्ध और दुराचारिक प्रयोजन के लिए काम में लाया या उपयोग किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए कि ऐसा व्यक्ति किसी भी आयु में ऐसे किसी प्रयोजन के लिए काम में लाया जाएगा या उपयोग किया जाएगा, खरीदेगा, भाड़े पर लेगा, या अन्यथा उसका कब्जा अभिप्राप्त करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा। स्पष्टीकरण 1 – नाबालिग (अठारह वर्ष से कम आयु की) नारी को खरीदने वाली, भाड़े पर लेने वाली या अन्यथा उसका कब्जा अभिप्राप्त करने वाली किसी वेश्या के या वेश्यागॄह चलाने या उसका प्रबन्ध करने वाले किसी व्यक्ति के बारे में, जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारंणा की जाएगी कि ऐसी नारी का कब्जा उसने इस आशय से अभिप्राप्त किया है कि वह वेश्यावॄत्ति के प्रयोजनों के लिए उपयोग में लाई जाएगी। स्पष्टीकरण 2 – अवैध संभोग का वही अर्थ है, जो धारा 372 में है। लागू अपराध वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को खरीदना। सजा – दस वर्ष कारावास + आर्थिक दण्ड। यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है। यह समझौता करने योग्य नहीं है।CLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।