विवरण
इस अधिनियम के अधीन हर अजीं उस जिला न्यायालय के समक्ष उपस्थापित की जायेगी जिसकी साधारण आरम्भिक सिविल अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के अन्दर – (i) विवाह का अनुष्ठापन हुआ था; या (ii) प्रत्यर्थी, अर्जी के उपस्थापन के समय, निवास करता है; या (iii) विवाह के पक्षकारों ने अंतिम बार एक साथ निवास किया था, या (iii-क) पत्नी के अर्जीदार होने की दशा में, याचिका प्रस्तुत करने वाले दिनांक को, जहाँ वह निवास कर रही है; या (iv) अर्जीदार के अर्जी पेश किए जाने के समय निवास कर रहा है, यह ऐसे मामले में, जिसमें प्रत्यर्थी उस समय ऐसे राज्यक्षेत्र के बाहर निवास कर रहा है जिस पर इस अधिनियम का विस्तार है। अथवा वह जीवित है या नहीं इसके बारे में सात वर्ष या उससे अधिक की कालावधि के । भीतर उन्होंने कुछ नहीं सुना है, जिन्होंने उसके बारे में, यदि वह जीवित होता तो, स्वाभाविकतया सुना होता।CLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।