धारा 5 हिन्दू विवाह अधिनियम – हिन्दू विवाह के लिए शर्तें

विवरण

दो हिन्दुओं के बीच विवाह उस सूरत में अनुष्ठित किया जा सकेगा जिसमें कि निम्न शर्ते पूरी की जाती हों, अर्थात् – (1) दोनों पक्षकारों में से किसी का पति या पत्नी विवाह के समय जीवित नहीं है। (ii) विवाह के समय दोनों पक्षकारों में से कोई पक्षकार – (क) चित्त विकृति के परिणामस्वरूप विधिमान्य सम्मति देने में असमर्थ न हो; या (ख) विधिमान्य सम्मति देने में समर्थ होने पर भी इस प्रकार के या इस हद तक मानसिक विकार से ग्रस्त न हो कि वह विवाह और सन्तानोत्पति के अयोग्य हो; या (ग) उसे उन्मत्तता का दौरा बार-बार पड़ता हो। (iii) वर ने 21 वर्ष की आयु और वधू ने 18 वर्ष की आयु विवाह के समय पूरी कर ली है; (iv) जब कि उन दोनों में से प्रत्येक को शासित करने वाली रूढ़ि या प्रथा से उन दोनों के बीच विवाह अनुज्ञात न हो, तब पक्षकार प्रतिषिद्ध नातेदारी की डिग्रियों के भीतर नहीं हैं; (v) जब तक कि उनमें से प्रत्येक को शासित करने वाली रूढ़ि या प्रथा से उन दोनों के बीच विवाह अनुज्ञात न हो तब पक्षकार एक-दूसरे के सपिण्ड नहीं हैं। (vi) [*****]

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