जब भी कोई वारदात या घटना घटित होती है तो हम सबसे पहले पुलिस से संपर्क करते है और चाहते है की पुलिस जल्द से जल्द हमको मदद वा इन्साफ दिला दे। परन्तु Ghaziabad Police हो, Delhi Police हो Noida Police या किसी और जिले की पुलिस कई बार सही केस में भी FIR नहीं करती है। FIR का मतलब First Information Report होता है।
तो आइये पहले जानते है की कोई वारदात या घटना होने पर कैसे पुलिस की सहायता ले सकते है ?
Uttar Pradesh/उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर से आप पुलिस सहायता हेतु पहले जहा 100 नंबर डायल करते थे वही अब उसकी जगह 112 नंबर अपने फ़ोन से पुलिस सहायता हेतु डायल करना है। आपको बता दे की अगर आपके फ़ोन में वाट्सअप है तो आप वाट्सअप कॉल भी 112 Number पर कर सकते है।
112 Police Helpline Number Dial करते ही आपकी कॉल लखनऊ स्थित पुलिस कण्ट्रोल रूम में जाएगी और आपको किस प्रकार की सहायता कहाँ चाहिए इसकी जानकारी ली जाएगी।
Police Control Room में आपकी शिकायत दर्ज़ होते ही कण्ट्रोल रूम आपके नज़दीकी पुलिस स्टेशन व पीसीआर को आपकी मदद के लिए आपके द्वारा दी गई जानकारी अनुसार भेजेगा, और पीसीआर पर तैनात पुलिस कर्मी आपको जल्द से जल्द मदद उपलब्ध करने के लिए आप जहा कही भी मौजूद है वहाँ पहुंच जायगे।
आपको बता दे की 112 केवल इमरजेंसी पुलिस सहायता है, इससे आपको तुरंत सहायता तो मिल जाएगी परन्तु अगर आप आगे किसी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाही करवाना चाहते है, या चाहते है की आपके साथ हुए अपराध के दोषी अपराधी को सजा मिले तो आपको पुलिस स्टेशन यानि Police Thane ya Police station जाना है, और अपने साथ हुई घटना को लिखित में लिखकर थाने के भारसाधक अधिकारी यानि पुलिस स्टेशन इंचार्ज को देनी है। ( SHO Of Police Station )
थाना अध्यक्ष आपकी दी गई कम्प्लेन्ट की या तो पहले जाँच करेंगे या फिर तुरंत दर्ज़ कर लेंगे। जब आपकी FIR दर्ज़ हो जाएगी तब आपको FIR की कॉपी ( copy of FIR) निःशुल्क दी जाएगी जिसमें आपके द्वारा लिखी गई शिकायत, अभियुक्तों के नाम पते, यदि आपने लिखाये हो तो समेत सम्बंधित कानून की धाराएं आदि जानकारी अंकित होती है।
ये जो कंप्लेंट दर्ज़ होना होता है उसी को FIR REGISTRATION कहते है।
FIR कानून का वो फर्स्ट स्टेप है जो अपराधी को या दोषी को दंड दिलवाने के लिए अति आवश्यक है। एक बार अगर FIR आपने लिखा दी तो फिर पुलिस भी उसको कैंसिल नहीं कर सकती। पुलिस को मज़बूर होकर FIR होने पर केस की पूरी जाँच matlab Investigation करनी पड़ती है और यदि आवश्यक हो तो अपराधी को जेल भेजना होता है।
जब पुलिस किसी केस में अपनी जाँच पूरी कर लेती है तो वो अपनी की हुई जाँच को लिखित रूप में सम्बंधित कोर्ट (Concern Court) में जमा करती है। जिसके बाद कोर्ट उस जाँच का संज्ञान (Cognizance)लेकर एक क्रिमिनल ट्रायल (criminal trial) शुरू करता है। कोर्ट में गवाह (Witnesses) सबूतों (Evidence)के आधार पर फैसला होता है और यदि आपका केस (Case) आपने सिद्ध (Prove) कर दिया तो दोषियों (Culprits) को कानून के हिसाब से सजा दी जाती है।
जब क्या हो जब पुलिस आपका मामला सही होने पर भी FIR Register नहीं करती।
वो लोग जो पुलिस स्टेशन जाते है और कई बार पुलिस डरा धमका कर उनको थाने से भगा देती है या वो पुलिस के भय या किसी और कारण के अपने मामले को दर्ज नहीं करा पाते यानि उनकी FIR Register नहीं हो पाती।
ऐसे सभी लोग क्या न्याय से वंचित हो जाते है ? , जी नहीं ,
कानून बनाने वालो को इस स्थिति का पता था की अगर सभी शक्ति पुलिस को मिल गई तो पुलिस जिसको चाहेगी इन्साफ देगी या नहीं देगी। इसलिए पुलिस के FIR लिखने से इंकार करने के बाद भी बहुत से तरीके है जिससे आपको न सिर्फ इन्साफ मिलेगा बल्कि दोषियों को सजा भी मिलेगी। तो आइये जानते है पुलिस के FIR Register ना करने पर आप क्या और कैसे कर सकते है।(How To Register FIR)
अपने जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को शिकायत करे।
जब भी कोई थाना अध्यक्ष आपकी रिपोर्ट दर्ज़ करने को मना करता है तो आप सेवा में, श्रीमान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनपद (आपके जिले का नाम )(To District superintendent of police) सबसे ऊपर लिखकर अपनी पूरी शिकायत जो आपने थाना अध्यक्ष को दी थी जिसको दर्ज़ नहीं किया गया था सादे कागज़ पर लिखकर या टाइप कराकर उसमें ये और लिख दे की आपने यह शिकायत (थाने का नाम डालकर/mention your Police station name) करने की कोशिश की थी परन्तु आपकी रिपोर्ट दर्ज़ नहीं की गई। और अंत में लिखे :- अतः श्रीमान जी से निवेदन है की प्रार्थी/प्रार्थिनी/ की रिपोर्ट दर्ज़ करवाने की कृपा करे। धन्यवाद।
जहा भी आपकी शिकायत ख़त्म हो जाए तो सीधे हाथ पर प्रार्थी/ या प्रार्थिनी लिखकर अपना नाम पूरा पता वा मोबाइल नंबर अवश्य लिखे तथा अपने हस्ताक्षर करे। (अगर एक से ज्यादा पेज हो तो हर पेज पर नीचे अपने हस्ताक्षर करे।
उल्टे हाथ की तरफ भेजने की तारीख डाले। इसके बाद अपनी शिकायत जो अपने लिखी है उसकी एक फोटो स्टेट कॉपी करवा ले।
उसके बाद एक सादा लिफाफा लेकर उसपे जहा शिकायत भेजनी है उस जगह पे “श्रीमान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (आपके जनपद का नाम )” लिखे। तथा भेजने वाले का नाम पता लिफाफे के कोने में तिरछा करके लिखे और उस लिफाफे को बंद करके स्पीड पोस्ट करदे तथा स्पीड पोस्ट (SPEED POST) की रसीद को अपनी शिकायत की कॉपी पर ऊपर खली जगह पे चिपका कर संभाल कर रख ले।
आपको बता दे की स्पीड पोस्ट की रसीद ही आपकी Receiving यानि इस बात का सबूत है की आपकी शिकायत जहा आपने भेजी वह प्राप्त हो गई है। आगे चलकर हम आपको बताएँगे की आपकी ये स्पीड पोस्ट की रसीद और आपकी शिकायत की फोटोस्टेट आपके कैसे काम आने वाली है।
What After Complaint to SSP
आप चाहे तो अपनी शिकायत व उसकी कॉपी लेकर स्वय SSP Office में रिसीव कराकर आ सकते है, पर ध्यान रखने वाली बात ये है की आपकी शिकायत की फोटोस्टेट कॉपी पर रिसीविंग जरूर ले।
आपकी शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय को प्राप्त होगी तो या तो वो आपकी रिपोर्ट दर्ज़ करवाने का आदेश देंगे या नहीं देंगे।
परन्तु देखा गया है की अधिकतर मामलो में SSP Office आपकी शिकायत को आपके सम्बंधित थाने को तथा थाने वाले आपकी सम्बंधित चौकी पर भेज देते है। और चौकी वाले आपकी समस्या सुनकर कोशिश करते है की मामला निपट जाए और प्रारंभिक जाँच ( Primary Investigation) के बाद आपकी शिकायत पर अपनी रिपोर्ट लगाकर वापस एसएसपी ऑफिस भेज देते है।
इस सब प्रक्रिया के दो ही नतीजे निकलते है या तो आपकी रिपोर्ट दर्ज़ होती है या नहीं होती।
अगर आपकी रिपोर्ट दर्ज़ हो जाती है (If Your FIR Get Registered) तो मुबारक हो आप 100 में से 1 खुशकिस्मत है। 99 प्रतिशत सम्भावना है की आपकी रिपोर्ट दर्ज़ नहीं होगी।
आप पूछेंगे तो शिकायत भेजने का क्या फ़ायदा जब शिकायत दर्ज़ ही नहीं होगी तो ?
आपको बता दे की ये कानून की बाध्यता है की आप पहले शिकायत निचले स्तर पर करेंगे और यदि वहाँ आपकी सुनवाई नहीं होती तो ही आप दूसरे स्टेप पर शिकायत कर सकेंगे। इसलिए यदि आपने एसएसपी महोदय को शिकायत ही नहीं की तो आप दूसरी जगह शिकायत करने का आधार खो देंगे।
इस कारण से आपकी वो शिकायत (Application) जो आपने एसएसपी साहब को भेजी वो तथा उसपे लगी स्पीड पोस्ट की रसीद (Receipt) आपका सबूत होगी की आपने शिकायत करी थी परन्तु कोई कार्रवाही नहीं हुई।
एसएसपी साहब को शिकायत करने पर भी रिपोर्ट दर्ज़ न हो तो क्या करें ?
अब जब आपने थाने में कोशिश कर ली एसएसपी साहब को शिकायत भी कर ली और तब भी आपकी रिपोर्ट दर्ज नही हुई तो आप एसएसपी साहब को की गई शिकायत की रिसीव कॉपी लेकर अपने यहाँ के District Court में जाकर किसी अच्छे वकील को ढूंढे जो की आपके केस सम्बंधित कानून में एक्सपर्ट हो।
अगर आप ग़ज़ियाबाद या एनसीआर (NCR Region) छेत्र से है तो आप एडवोकेट जीरो जीरो सेवन डॉट कॉम (advocate007.com) से भी वकील ढूंढ सकते है यहाँ आपको आपके केस सम्बंधित कानून में एक्सपर्ट अधिवक्ता आसानी से तथा कम फीस में मिल जायेगे।
अब जब आप अपना वकील ढूंढ ले तो उनको अपनी शिकायत जो अपने एसएसपी साहब को भेजी थी दिखाए और उनसे कहे की आपको इस शिकायत की FIR दर्ज़ करानी है।
आपके वकील साहब “दंड प्रक्रिया संहिंता की धारा 156/3” (Section 156/3 Crpc) के तहत आपका केस तैयार करेंगे और सम्बंधित मजिस्ट्रेट साहब के यहाँ सबूतों के साथ दायर मतलब दाखिल करेंगे।
उसके बाद आपके केस में सुनवाई हेतु कोई तारीख कोर्ट द्वारा दी जाएगी। उस तारीख पर आपके Advocate इस बात पर कोर्ट में बहस करेंगे की क्यों आपकी रिपोर्ट दर्ज़ करने को कोर्ट आदेश दे।
बहस के बाद कोर्ट अपना ( court order ) आदेश या तो आपकी FIR दर्ज़ ( FIR Logged) करने का होगा या आपकी अप्लीकेशन या मुकदमा खारिज मतलब रिजेक्ट करने का होगा या कंप्लेंट केस के रूप में दर्ज़ करने का होगा। (What is Complaint Case) आपको आगे बतायेगे।
अगर मजिस्ट्रेट ( Judicial Magistrate ) साहब आपके वकील साहब की बहस (Legal Argument) से संतुष्ट हो जाते है तो आपकी रिपोर्ट कोर्ट के माध्यम से थाने जाएगी और उसके साथ में कोर्ट का आदेश होगा की आपकी रिपोर्ट दर्ज़ की जाए।
आपको बता दे की कोर्ट को (THE CODE OF CRIMINAL PROCEDURE, 1973 Under Section 156/3) के तहत पॉवर होती है की वो FIR दर्ज़ करने के आदेश पुलिस को दे सकता है। और ऐसे सभी आदेश पुलिस को मानने ही पड़ते है।
तब क्या हो जब कोर्ट भी आपकी शिकायत को खारिज़ यानि रिजेक्ट कर दे तो ?
अब आप ऐसी सूरत में कंप्लेंट केस दर्ज़ करवा सकते है अपने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सम्बन्धित थाने के मजिस्ट्रेट अदालत में।
तो आइये जानते है कंप्लेंट केस आखिर होता क्या है। ये पुलिस FIR से कैसे अलग होता है। और क्या कंप्लेंट केस द्वारा आपको बिना पुलिस के भी इन्साफ ( Justice ) मिल सकता है।
कंप्लेंट केस। /Complaint Case
कंप्लेंट केस में आप अपने या किसी और के विरुद्ध हुए अपराध ( Crime ) की सूचना सीधे मजिस्ट्रेट साहब को दे सकते है। मजिस्ट्रेट साहब शिकायत के रूप में आपके दायर मतलब दाखिल या डाले गए मुक़दमे की स्वय जाँच करते है। तथा आवश्यकता होने पर पुलिस से भी जाँच करवा सकते है मगर अंत में वो खुद ही सबूतों, गवाहों के हिसाब से फैसला देते है।
इस केस में मजिस्ट्रेट साहब आपके द्वारा व यदि कोई जाँच ( Investigation ) करवाई गई है उसके द्वारा प्राप्त सबूतों व गवाहों को सुनने के बाद आरोपियों मतलब उन सबको जिनके खिलाफ आपने केस दर्ज़ किया था तलब यानि बुलाने हेतु केस के आधार पर या तो समन या वारंट (Summon/Warrant) भेजेंगे और यदि आरोपी (Accused) आने से इंकार करे तो कोर्ट गिरफ्तार (Arrest) करवाकर भी आरोपियों को हाज़िर करवा सकती है।
आरोपी को बचाव (Opportunity For Defence) का अवसर दिया जाता है और यदि आप अपना केस सिद्ध कर देते है तो आरोपियों को कानून सम्मत सजा सुनाकर कोर्ट इन्साफ करती है। How To Find Expert Lawyer
आपको बता दे जहां FIR रिजेक्ट होने या न दर्ज़ होने पर आप कंप्लेंट केस दर्ज़ करवा सकते है बल्कि सीधे भी आप कंप्लेंट केस दर्ज़ करवा सकते है।
Benefits Of Complaint Case
FIR होने पर जहां बाद में कोर्ट में आपका केस सरकारी वकील लड़ते है वही कंप्लेंट केस में आपको अपना वकील करना होता है। हालाँकि देखा जाए तो अपना वकील करने से आपके केस जितने के अवसर बढ़ जाते है क्युकि सरकारी वकील अधिक काम होने व सरकारी होने के कारण आपके केस को उतना महत्त्व नहीं देते जितना आपका अपना वकील देता है।
कंप्लेंट केस सबसे ज्यादा फ़ायदा उस केस में देता है जहां आपको आशंका हो की आरोपी रसूखदार पैसे वाले है और वो धन बल से पुलिस से बच जाएगे। या आपका मामला ही पुलिस के या किसी नेता के खिलाफ है। क्युकि कंप्लेंट केस में सभी जाँच मजिस्ट्रेट साहब द्वारा होती है, ऐसी सूरत में आरोपी कितना ही बड़ा हो उसका बच पाना बहुत मुश्किल होता है।
उम्मीद है आपको एफ.आई.आर दर्ज़ न होने पर क्या करना है इसकी जानकारी मिली होगी। अगर आपको किसी भी कानूनी सलाह की फ्री में जरुरत हो तो यहाँ क्लिक करे। आपका कोई सवाल हो तो कमेंट जरूर करे और आपसे प्रार्थना है इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर व लाइक करे ताकि किसी ऐसे की मदद हो सके जो इन्साफ से वंचित रह गया हो। धन्यवाद्
आपके द्वारा दी गयी जानकारी बहुत ज्ञानवर्धक है, आम आदमी को ये कानूनी जानकारी देने के लिए आपकी जितनी प्रशंसा की जाये उतनी कम है
विजय जी आपका बहुत – बहुत धन्यवाद्।
आपकी ये जानकारी बहुत ज्ञानवर्धक लगी यही नही जान कर विश्वास हुआ कि पैसे या रसूखदार व्यक्तियों से कैसे निपटा जाय।
काफी सही जानकारी
श्री मान आपके विधिक नॉलेज का में बड़ा फेन हु।।जीवन में भी वकील बनाना चाहता था पर साइस की पढ़ाई ग्रेजुअसन पूर्ण करके में राजस्थान पुलिस में भर्ती हो गया हूं।।श्री मान जी मुझे आपका मार्गदर्शन मिले की में LLB.. करना चाहता हूं जीवन का एक सपना है वैसे ही यह नोकरी मेने कोर्ट केस से सुप्रीम कोर्ट डायरी नंबर 14950/2019 ,,vs स्टेट राजस्थान,, केस से मिली है।।श्री मान जी मेने आपसे व्हाट्सएप चेट के लिए नंबर प्रप्त करना चाह पर,,मिला नही आपसे अर्ज की मुझे आपका मोबाइल नंबर देने की कृपा करें।खुदा आपको हिन्द वतन की सरपरस्ती में दस्तूर को जिन्दा रखने व् आपको मजीद तरक्की दे।आपका अपना छात्र-अहमद खान बाड़मेर राजस्थान 8239097506।
आपके द्वारा दो गई क़ानूनी जानकारी एक सामान्य व्यक्ति को ज्ञान एवं आत्म विश्वास देती है जिससे उसे अपने साथ हुए अन्याय के विरुद्ध लड़ने का साहस मिलता है , आपको कोटि कोटि धन्यवाद ; ईश्वर की कृपा आप पर बनी रहे और आप इसी प्रकार लोगों की सहायता करते रहें यह मेरी ईश्वर से प्रार्थना है ।