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True love है ? तो True marriage kare. जानिए कैसे ?

सच्चा प्यार या true love वैसे तो अब लुप्त प्रजाति जैसा होता जा रहा है, परंतु आज भी कही-कही देखने सुनने को मिल जाता है। अब अगर प्यार हो गया और वो प्यार सच्चा है, तो शादी भी सच्ची यानि रियल मतलब कानून की नज़र में जायज़ ही करनी चाहिए। 
तो आइये सबसे पहले देखते है की सच्चे प्यार की पहचान कैसे करे। सच्चा प्यार है या नही, अगर ये आपको पता लग गया तो समझो, आपका शादी-शुदा जीवन भी सुखमय बीतेगा।

सच्चा प्यार। True love

सच्चा प्यार और आकर्षण मतलब Love और Attraction ये दो तरह के अहसास या भावना है जो किसी पुरुष और नारी के बीच में देखने को मिलते है। वैसे तो प्यार और अट्रैक्शन बहुत से रिश्तों में, चीज़ों में पाया जाता है, परंतु यहाँ हम क्युकि शादी की बात कर रहे है इसलिए सिर्फ लड़का-लड़की के बीच होने वाले प्यार की ही चर्चा करेगे।

जैसे की हमने बताया, लड़का-लड़की के बीच प्यार और अट्रैक्शन Love and Attraction ये दो ही तरह की Feeling देखने को मिलती है। जो दोनों के बीच एक रिश्ता बनाती है। तो आइये सच्चा प्यार क्या होता है इससे पहले जानते है, ये अट्रैक्शन क्या होता है। 

Attraction. आकर्षण

Atraction देखते ही हो जाता है जबकि प्यार होने में समय लगता है। अट्रैक्शन के बाद प्यार हो भी सकता है और नही भी परंतु प्यार होने के बाद आकर्षण की जरुरत नही रहती। वैसे देखा जाए तो प्यार और आकर्षण में बहुत ही बारीक़ फर्क है मगर ये बारीक़ सा फर्क बहुत महत्वपूर्ण होता है।
अट्रैक्शन का मतलब होता है किसी के प्रति आकर्षित हो जाना। 


आकर्षित हो जाना प्यार नही होता, मगर जिसको भी अट्रैक्शन होता है उसको ऐसा लगता है की उसको प्यार हुआ है। आप सोचेगे आकर्षण तो तभी होगा ना जब प्यार होगा। 
आपको बता दे की ऐसा बिलकुल नही है। 

उद्धाहरण

आप किसी सुंदर फूल को देखकर आकर्षित होते है, और क्युकि वो आपको इतना पसंद है की आप उसके बिना नही रह सकते तो आप उसको तोड़ कर अपने घर ले आते है और उसको सजावटी गमले में रख लेते है और निहारते रहते है परंतु कुछ समय बाद वो फूल मुरझा जाता है। यहाँ आपको उस फूल से आकर्षण मात्र था कोई प्यार नही।

अब अगर उसी फूल से आपको प्यार होता तो आप उस फूल को देखते और उसको टूटने से बचाने के लिए कोई प्रबंध करते तथा वो फूल आपको पसंद है, तो आप चाहते की और लोग भी उस फूल को देख सके, उसकी तारीफ कर सके। इसलिए आप पौधे को रोज़ पानी देते और जितना हो सके उसकी देखभाल करते और उसको कभी इसलिए नही तोड़ते की वो आपको बहुत पसंद है या आप उसके बिना नही रह सकते।

इस बात को आसान भाषा में समझा जाए तो प्यार जहा निस्वार्थ तथा जिससे प्यार करते है उसका हर प्रकार से भला चाहने की इच्छा को जन्म देने वाला होता है।


वही दूसरी तरफ आकर्षण अपनी इच्छा की तथा अपने अच्छे बुरे की इच्छा को जन्म देता है। सरल भाषा में आकर्षण Selfishness की भावना पैदा करता है।

उद्धाहरण के लिए:-

आपने किसी बहुत खूबसूरत लड़की को देखा और देखते ही आपको वो पसंद आ गई। आप चाहते है की आप उससे प्यार करे शादी करे, वो आपके साथ रहे घुमे फिरे। ये आकर्षण है प्यार नही क्युकि यहाँ जो कुछ भी आप चाहते है वो आप अपने लिए चाहते है उस लड़की के लिए नही। 

ये ऐसे ही है जैसे आप उद्धाहरण के लिए कटरीना कैफ या सनी लियोनी या किसी और हीरोइन को बहुत पसंद करते है, उसको पाना चाहते है, वो आपके सपनो में भी आती है, मगर क्या आप उससे प्यार करते है ? 

अगर आपका जवाब ना है तो आपको अट्रैक्शन यानि सिर्फ आकर्षण मात्र ही है।
और यदि आपका जवाब अब भी “हां” है।

तो मेरा सवाल आपसे है की क्या आप उसका भला सोचते है ?, जैसे की आप चाहते है की उसकी शादी किसी अच्छे से हीरो से हो जाए ? या किसी ऐसे इंसान से हो जो आपसे काबिल हो ? अब शायद आपका जवाब होगा “नही” 

बस ये ही आपको समझाना चाहता था, आकर्षण में आप खुद की पसंद न पसंद, अच्छा बुरा सोचते है। और प्यार में आप उसका अच्छा बुरा सोचते है जिससे आप प्यार करते है।


आपको अब आकर्षण के बारे में पता चल गया की ये प्यार से कैसे अलग होता है, मगर अब भी bahut से लोग नही मानेगे की आपको प्यार नही आकर्षण है।

तो चलिए आपको आकर्षण की और प्यार की कुछ खास पहचान बताते है जिससे आपको ये पहचानने में मदद मिलेगी की आपको आकर्षण है या प्यार।

1. देखते ही कोई पसंद आ जाता है।
प्यार को समय लगता है पर आकर्षण देखते ही होता है।

2. उसको दुनियां की परवाह किए बिना अपने पास रखने का या उसके पास रहने का मन करता है।
यहाँ आपका मन जो कहता है, आप वो करना चाहते है जबकि प्यार में अपने साथी के मन के हिसाब से ही आपका मन हो जाता है।

3. हमेशा उसको देखने की इच्छा होती है।
यहाँ भी आप अपनी इच्छा देख रहे है अपने साथी की नही।

4. आपका प्रेमी या प्रेमिका अगर आपको न मिले तो खुदखुशी तक के खयाल आते है।
आप भले ही न मिलने पर या बिछड़ने पर मरने को तैयार है परंतु यहाँ भी आप अपने दुःख के मारे ये कर रहे है। जबकि अगर आपको प्यार होता, तो आप अपने साथी के बारे में सोचते की आपके मरने से उसको कितना दुःख होगा। 

5. कोई आपके प्रेमी या प्रेमिका को देखे या बात करे तो आपको गुस्सा आता है।
यहाँ आप खुद को क्या अच्छा लगता है या बुरा लगता है ये ही सोचते है। जबकि ये हो सकता है की किसी और का देखना या बात करना आपके साथी को अच्छा लगता हो। मगर आप उसकी नही बल्कि अपनी चिंता करते है।

6. अपने प्रेमी या प्रेमिका को खोने का डर हमेशा बना रहता है।
प्यार अनंत है और उसको खोया या पाया नही जाता है। यदि आपका कोई करीबी जैसे आपकी माँ दादा पापा या कोई और जो अब इस दुनिया में नही रहा हो, क्या उनसे आपका प्यार खत्म हो गया? नही ना।

7.आप अपने अलावा किसी के साथ अपने साथी को देखकर खुश नही होते।
आपको जलन या ईर्ष्या होती है जो प्यार में नही होती। उद्धाहरण के लिए ज़रा सोचिये आप के बच्चे है, और आप अपने बच्चों से प्यार करते है, और कोई और भी, आपके बच्चे से प्यार करता है तो आप उससे जलेंगे ईर्ष्या करेगे नही ना। 

8. अपने साथ रखने या पाने के लिए आप किसी भी हद तक जा सकते है।

यहाँ आप अपने साथी पर ज़बरदस्ती करते है या उसको जबरदस्ती किसी काम को करने या न करने का दबाव बनाते है और चाहते है की चाहे कुछ भी हो जाए आप अपने साथी को अपने पास रखे तो आप प्यार नही करते।

9. आप अपने साथी को आपके सिवा किसी और का होते नही देख सकते।
प्यार में क्युकि आप अपने से ज्यादा अपने साथी का अच्छा बुरा देखते है। और यदि प्यार सच्चा है तो आप ईमानदारी से देखेगे की आपके साथी के लिए क्या अच्छा है क्या बुरा, और यदि आपको लगता है की आपके साथी का भला आपके साथ नही किसी और के साथ है तो आप वो करेगे जो आपके साथी के लिए अच्छा है। 

10. आप चाहते है की आपका साथी आपके कहे को माने जैसे आप कहे वो करे।
अब भी आप अपने साथी को उसकी इच्छा अनुसार नही बल्कि अपनी इच्छा अनुसार चलाना चाहते है । प्यार में ऐसा नही होता।

11. बात-बात पर शक करना।
शक और सच्चे प्यार में? हो ही नही सकता। उद्धाहरण के रूप में,आपने अपनी माँ जिसको आप बहुत प्यार करते है उसपे कभी शक किया है। नही ना।

ऊपर बताई गई पहचानो को पढ़कर आपको लगा होगा के ये सब तो शायद आपके साथ भी है, और आपके बहुत से जानने वालो, यारो दोस्तों, सहेलियों की जिंदगी में भी मौजूद है। तो क्या वो प्यार नही करते। 

जी हां वो प्यार नही करते अगर ऊपर बताई गई आकर्षण की पहचाने उनके बीच मौजूद है तो, उनके बीच आकर्षण यानि Attraction है। प्यार नहीं।

तभी तो हमने बताया था प्यार एक लुप्त प्राय प्रजाति की तरह है जो बहुत किस्मत से किसी को मिलता है।

आइये अब आपको बताते है की सच्चा प्यार क्या होता है। true लव को कैसे पहचाने।
सच्चा प्यार आपको यू तो पैदा होने से पहले ही मिल जाता है। जैसे ही आप अपनी माँ के गर्भ में आते है आपकी माँ बिना आपको देखे बिना ये जाने की आप लड़के है लड़की है, गोरे है काले है आपको चाहने लगती है और आपका पूरा ध्यान रखती है, आपके हिसाब से खाना खाती है, दवाई लेती है, डॉक्टर से जाँच कराती है, हर परेशानी खुद झेलती है ताकि आपको कोई तकलीफ न होने पाये।और आपके जन्म लेने के बाद भी हमेशा आपको निस्वार्थ प्यार करती रहती है। आपकी हर खुशी का ध्यान रखती है आपकी पसंद, न पसंद का ख्याल रखती है। और खुद की जगह हमेशा आपके लिए, क्या अच्छा है वो ही सोचती वा करती रहती है। 

भगवान् तो सौ बार प्रार्थना करने के बाद कोई एक इच्छा पूरी करते है और भगवान् कहलाते है। परंतु माँ तो बिना किसी प्रार्थना के ही बच्चों की सभी इच्छा पूरी करती रहती है।


इसलिए ये कहना गलत न होगा की एक माँ न सिर्फ सच्चे प्यार का सबसे बड़ा उद्धाहरण है बल्कि एक माँ का दर्ज़ा भगवान् से भी बड़ा है।


जवान होने पर किसी लड़के लड़की के बीच सच्चा प्यार तभी हो सकता है जब उस प्यार में वो सब बाते जो की आकर्षण की पहचान है जो ऊपर लिखी गई है न हो। तथा एक माँ के प्यार की तरह निस्वार्थ भावना हो।

What Is True Love


सच्चा प्यार एक ऐसी आत्मिक स्थिति, है जहा व्यक्ति खुद को भूल जाता है, और हर हाल में जिससे वो प्यार करता है उसका अच्छा सोचने, करने लगता है। सच्चा प्यार पूरी तरह से निस्वार्थ होता है। इसमें न कुछ खोने का डर न कुछ पाने की इच्छा होती है। सच्चा प्यार साथ रहकर भी और दूर रहकर भी और यहाँ तक की किसी साथी की death होने पर भी ख़त्म नही होता, वो तो गंगा की धारा की तरह अविरल बहता रहता है।
सच्चे प्यार को सुंदरता की जरुरत नही होती। जिससे भी सच्चा प्यार होता है उसकी नज़र में उसके साथी से खूबसूरत दुनियां में कोई नही होता।

एक बार हम बहुत से वकील एक दूसरे से फ्री टाइम में बहस कर रहे थे तो एक वकील साहब ने पुछ लिया की, सबसे सुंदर महिला कौन है देश में ? किसी वकील साहब ने किसी हीरोइन का नाम लिया तो किसी ने मिस वर्ल्ड का तो किसी ने अपनी पत्नी का तो किसी ने अपनी प्रेमिका का।अब मेरी बारी आई तो मैंने सोच समझ कर कहा “माँ” सब सुनकर मुझे देखने लगे और पूछा कैसे? मैंने कहा अगर में गलत हू तो आप लोग बताओ किसको अपनी माँ बदसूरत लगती है ?  ये सुनते ही सभी वकील मेरी बात से सहमत हो गए।

आप भी कमेंट में जरूर बताये की मेरा जवाब ठीक था या गलत। ये ही प्यार की शक्ति होती है, जिससे, जिसको प्यार होता है वो उसके लिए उसकी नज़र में सबसे “खूबसूरत” हो जाता है।


अब आप क्युकि पूरी तरह से समझ चुके है की सच्चा प्यार क्या होता है तो आप जरूर चाहेंगे की जिससे आप सच्चा प्यार करते है उससे आपकी शादी भी सच्ची हो यानि की कानूनन, तो आइये जानते है।

Love Marriage कैसे करे वो भी Legal Way से।

अक्सर ये देखने को मिलता है की लड़का लड़की घरवालो की रज़ामंदी ना होने के कारण घर से भाग जाते है और शादी कर लेते है।

ऐसी स्तिथि में वो किसी वकील साहब या किसी और के माध्यम से शादी करने का प्रयास करते है, उनकी शादी भी हो जाती है परंतु बाद में पता चलता है की वो शादी जो हुई थी वो कानूनन अवैध थी। या illegal thi.

इस अवैध शादी के कारण प्रेमी प्रेमिका जो खुद को पति पत्नी समझते थे वो दरअसल कानूनन पति पत्नी नही बन पाते और अंत में बिछड़ जाते है। इसलिए आइये जानते है लव मैरिज सही तरीके से कैसे करे।


सबसे पहले ये देख ले की शादी करने वाले जोड़े में लड़के की उम्र 21 वर्ष वा लड़की की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए।
शादी करने के लिए किसी पंडित जी या मौलवी के पास जाने से पहले किसी Expert Lawyer से सलाह जरूर ले। आप कैसे एक काबिल वकील ढूंढे जानना चाहते है तो यहाँ क्लिक करे या आप advocate007.com पर भी जा सकते है।

वकील साहब अगर काबिल होंगे तो आपको किसी मौलवी या पंडित को ढूंढने की जरुरत नही padegi, aapke ठहरने से लेकर आपकी शादी तक, तथा पुलिस वा आपके घरवालो से आपकी रक्षा करने जैसे सभी काम वकील साहब ही कानून की मदद से कर देंगे।

अब आइये जानते है शादी कानून के हिसाब से होती कैसे है।

जब लड़का लड़की किसी भी एक धर्म के होते है तो ऐसे मामलो में अधिकतर शादी उनके धार्मिक रीति रिवाज़ों अनुसार ही होती है। 
मान लीजिये की लड़का लड़की दोनों हिन्दू है तो दोनों की शादी हिन्दू तरीके से करवा दी जाती है। इसी तरह अगर मुस्लिम कपल है तो शादी मुस्लिम तरीके से करा दी जाती है।

 
अगर दोनों प्रेमी जोड़े अलग-अलग धर्मो के है तो ऐसी सूरत में या तो किसी भी एक को दूसरे का धर्म अपनाना पड़ता है शादी करने के लिए, या फिर उनको शादी स्पेशल मैरिज एक्ट में कोर्ट मैरीज करनी पड़ती है।

स्पेशल मैरिज एक्ट

स्पेशल मैरिज एक्ट में शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन की जरुरत नही होती और लड़का लड़की अपने धर्म में रहते हुए भी शादी कर सकते है। इस प्रकार की शादी को एक धर्म मानने वाले भी कर सकते है मगर क्युकि इस शादी में कम से कम 30 दिन का न सिर्फ समय लगता है बल्कि लड़के लड़की की पुलिस जाँच होती है तथा उनके घर पर नोटिस भी जाते है। इस कारण ये शादी घरवालो की बिना रज़ामंदी के कर पाना बहुत मुश्किल है। परंतु अगर आपने किसी काबिल वकील को चुना है तो वो इस मुश्किल शादी को भी करा सकता है वो भी बिना किसी परेशानी के, मगर आपको बहुत अधिक पैसे खर्च करने पड़ सकते है।

Registered Marriage

आपको बताते है की दोनों कपल जब किसी एक धर्म के या फिर एक कपल दूसरे के धर्म को अपनाकर एक धर्म को मानने वाले हो जाते है तो उनकी शादी वकील साहब उनके धर्म के रीति रिवाज़ों अनुसार करवाकर मैरीज रजिस्ट्रार के यहाँ रजिस्टर्ड करवाते है। (आपको बता दे की धार्मिक रूप से की गई शादी भी कानूनन वैध होती है Registration आवश्यक नही है।) ताकि किसी तरह की आगे चलकर कोई कानूनी अड़चन बाकी न रहे। सब काम एक ही दिन में या कुछ घंटो में ही पूरा हो जाता है और आप पति पत्नी बन जाते है। Registered marriage mein kewal pahle hui shaadi registration karwaya jata hai isliye pure riti rivazo se shaadi karne ke bad hi registered karaye.

shaadi ke दौरान अधिकतर मामलो में लड़की के घरवाले लड़के व उसके घरवालो के विरुद्ध झूटी रिपोर्ट पुलिस में लिखवा देते है जिसके कारण पुलिस प्रेमी जोड़े को ढूंढती है लड़के के घरवालो को परेशान करती है। इसके बचाव के लिए आपके वकील साहब न सिर्फ पुलिस को आपके शादी शुदा होने के बारे में बताते है बल्कि पुलिस के सुनवाई न करने पर कोर्ट से आपको राहत दिलवा देते है, फिर पुलिस आपको या आपके घरवालो को, ना सिर्फ परेशान करना बंद कर देती है, बल्कि आपकी सुरक्षा भी करती है ।

उसके बाद आप ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन पति पत्नी के रूप में बिता सकते है।
यहाँ आपको बता दे की कोई भी वकील अगर आपको एक ही दिन में शादी करवाने का वादा करता है तो वो कोर्ट मैरीज नही बल्कि रजिस्टर्ड मैरिज करवा रहे है। क्युकि कोर्ट मैरीज में जैसा आपने ऊपर पढ़ा कम से कम आवेदन करने के बाद 30 दिन का समय लगता है।


अब जब आप दोनों तरह की शादी के बारे में जान गए है तो आपको बता दे की हालाँकि रजिस्टर्ड मैरिज भी कानूनन सही और वैध होती है परंतु वो कोर्ट मैरीज नही होती। court marriage special marriage act mein hoti hai aur avedan karne ke baad kam se kam 30 din ka samay lagta hai.

रजिस्टर्ड मैरीज में पहले पूरे धार्मिक रीति रिवाज़ों से शादी की जाती है और बाद में उस शादी का केवल registration कराया जाता है।

Registration बिना शादी किये, कुछ वकील करा देते है, वो अवैध और पूरी तरह से गलत है। इसलिए आप जब भी शादी करे धार्मिक रीति रिवाज़ों के साथ करे तथा बाद में registration कराये। 

उम्मीद है आपको जानकारी पसंद आई होगी। आपसे अनुरोध है ये पोस्ट अधिक से अधिक शेयर वा लाइक करे। कोई सुझाव या सवाल हो तो कमेंट जरूर करे । धन्यवाद

This Post Has One Comment

  1. Mohan S.Nakka

    नमस्ते वकील साहब,आपने तो प्यार का क्लेरिफिकेशन कर दिया। आपने तो इतना विस्तृत और सहजता से समजा दिया कि मन मे अब कोई कन्फ्यूज नही रह।मैं आपको कोरा पर भी फॉलो करता हूं।
    आपने ऊपर जो माँ का उदाहरण दिया आपका जवाब मुझे बहोत पसंद आया है।आप ऐसे ही हमे लेखन की माध्यम से समाज की सेवा करते रहे और भगवान आपको लंबीआयु दे।धन्यवाद।

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