धारा 171घ का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 171घ के अनुसार, जो कोई किसी निर्वाचन में किसी अन्य व्यक्ति के नाम से, चाहे वह जीवित हो या मॄत, या किसी कल्पित नाम से, मतपत्र के लिए आवेदन करता या मत देता है, या ऐसे निर्वाचन में एक बार मत दे चुकने के पश्चात् उसी निर्वाचन में अपने नाम से मत-पत्र के लिए आवेदन करता है, और जो कोई किसी व्यक्ति द्वारा किसी ऐसे प्रकार से मतदान को दुष्प्रेरित करता है, उपाप्त करता है या उपाप्त करने का प्रयत्न करता है, वह निर्वाचन में प्रतिरूपण का अपराध करता है । 1[परंतु इस धारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति कि लागू नहीं होगी जिसे तत्समय प्रवॄत्त किसी विधि के अधीन मतदाता की ओर से, जहां तक वह ऐसे मतदाता की ओर से परोक्षी के रूप में मत देता है, परोक्षी के रूप में मत देने के लिए प्राधिकॄत किया गया है ।CLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।