धारा 464 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 464 के अनुसार, 2[उस व्यक्ति के बारे में यह कहा जाता है कि वह व्यक्ति मिथ्या दस्तावेज या मिथ्या इलैक्ट्रानिक अभिलेख रचता है,– पहला–जो बेईमानी से या कपटपूर्वक इस आशय से– (क) किसी दस्तावेज को या दस्तावेज के भाग को रचित, हस्ताक्षरित, मुद्रांकित या निष्पादित करता है ; (ख) किसी इलैक्ट्रानिक अभिलेख को या किसी इलैक्ट्रानिक अभिलेख के भाग को रचित या पारेषित करता है ; (ग) किसी इलैक्ट्रानिक अभिलेख पर कोई अंकीय चिह्नक लगाता है ; (घ) किसी दस्तावेज के निष्पादन का या ऐसे व्यक्ति या अंकीय चिह्नक की अधिप्रमाणिकता का द्योतन करने वाला कोई चिह्न लगाता है, कि यह विश्वास किया जाए कि ऐसा दस्तावेज या दस्तावेज के भाग, इलैक्ट्रानिक अभिलेख या अंकीय चिह्नक की रचना, हस्ताक्षरण, मुद्रांकन, निष्पादन, पारेषण या लगाना ऐसे व्यक्ति द्वारा या ऐसे व्यक्ति के प्राधिकार द्वारा किया गया था, जिसके द्वारा या जिसके प्राधिकार द्वारा उसकी रचना, हस्ताक्षरण, मुद्रांकन या निष्पादन, लगाए जाने या पारेषित न होने की बात वह जानता है ; या दूसरा–जो किसी दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख के किसी तात्विक भाग में परिवर्तन, उसके द्वारा या ऐसे किसी अन्य व्यक्ति द्वारा, चाहे ऐसा व्यक्ति, ऐसे परिवर्तन के समय जीवित हो या नहीं, उस दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख के रचित या निष्पादित किए जाने या अंकीय चिह्न लगाए जाने के पश्चात््, उसे रद्द करके या अन्यथा, विधिपूर्वक प्राधिकार के बिना, बेईमानी से या कपटपूर्वक करता है ; अथवा तीसरा–जो किसी व्यक्ति द्वारा, यह जानते हुए कि ऐसा व्यक्ति किसी दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख की विषयवस्तु को या परिवर्तन के रूप को, विकॄतचित्त या मत्तता की हालत होने के कारण जान नहीं सकता था या उस प्रवंचना के कारण, जो उससे की गई है, जानता नहीं है, उस दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख को बेईमानी से या कपटपूर्वक हस्ताक्षरित, मुद्रांकित, निष्पादित या परिवर्तित किया जाना या किसी इलैक्ट्रानिक अभिलेख पर अपने अंकीय चिह्नक लगाया जाना कारित करता है । दृष्टांत (क) क के पास य द्वारा ख पर लिखा हुआ 10,000 रुपए का एक प्रत्यय पत्र है । ख से कपट करने के लिए क 10,000 में एक शून्य बढ़ा देता है और उस राशि को 1,00,000 रुपए इस आशय से बना देता है कि ख यह विश्वास कर ले कि य ने वह पत्र ऐसा ही लिखा था । क ने कूटरचना की है । (ख) क इस आशय से कि वह य की सम्पदा ख को बेच दे और उसके द्वारा ख से क्रय धन अभिप्राप्त कर ले, य के प्राधिकार के बिना य की मुद्रा एक ऐसी दस्तावेज पर लगाता है, जो कि य की ओर से क की सम्पदा का हस्तान्तरपत्र होना तात्पर्यित है । क ने कूटरचना की है । (ग) एक बैंकार पर लिखे हुए और वाहक को देय चेक को क उठा लेता है । चेक ख द्वारा हस्ताक्षरित है, किन्तु उस चेक में कोई राशि अंकित नहीं है । क 10,000 रुपए की राशि अंकित करके चेक को कपटपूर्वक भर लेता है । क कूटरचना करता है । (घ) क अपने अभिकर्ता ख के पास एक बैंकार पर लिखा हुआ, क द्वारा हस्ताक्षरित चेक, देय धनराशि अंकित किए बिना छोड़ देता है । ख को क इस बात के लिए प्राधिकॄत कर देता है कि वह कुछ संदाय करने के लिए चेक में ऐसी धनराशि, जो दस हजार रुपए से अधिक न हो अंकित करके चेक भर ले । ख कपटपूर्वक चेक में बीस हजार रुपए अंकित करके उसे भर लेता है । ख कूटरचना करता है । (ङ) क, ख के प्राधिकार के बिना ख के नाम में अपने ऊपर एक विनिमय पत्र इस आशय से लिखता है कि वह एक बैंकार से असली विनिमयपत्र की भांति बट्टा देकर उसे भुना ले, और उस विनिमयपत्र को उसकी परिपक्वता पर ले ले, यहां क इस आशय से उस विनिमयपत्र को लिखता है कि प्रवंचना करके बैंकार को यह अनुमान करा दे कि उसे ख की प्रतिभूति प्राप्त है, और इसलिए वह उस विनिमयपत्र को बट्टा लेकर भुना दे । क कूटरचना का दोषी है । (च) य की विल में ये शब्द अन्तर्विष्ट हैं कि मैं निदेश देता हूं कि मेंरी समस्त शेष सम्पत्ति क, ख और ग में बराबर बांट दी जाए । क बेईमानी से ख का नाम इस आशय से खुरच डालता है कि यह विश्वास कर लिया जाए कि समस्त सम्पत्ति उसके स्वयं के लिए और ग के लिए ही छोड़ी गई थी । क ने कूटरचना की है । (छ) क एक सरकारी वचनपत्र को पॄष्ठांकित करता है और उस पर शब्द य को या उसके आदेशानुसार दे दो लिखकर और पॄष्ठांकन पर हस्ताक्षर करके उसे य को या उसके आदेशानुसार देय कर देता है । ख बेईमानी से य को या उसके आदेशानुसार दे दो इन शब्दों को छीलकर मिटा डालता है, और इस प्रकार उस विशेष पॄष्ठांकन को एक निरंक पॄष्ठांकन में परिवर्तित कर देता है । ख कूटरचना करता है । (ज) क एक सम्पदा य को बेच देता है और उसका हस्तांतर-पत्र लिख देता है । उसके पश्चात् क, य को कपट करके सम्पदा से वंचित करने के लिCLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।