धारा 124क का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 124क के अनुसार, जो कोई बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा, या दृश्यरूपण द्वारा या अन्यथा 3।।। 4[भारत] 5।।। में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घॄणा या अवमान पैदा करेगा, या पैदा करने का, प्रयत्न करेगा या अप्रीति प्रदीप्त करेगा, या प्रदीप्त करने का प्रयत्न करेगा, वह 6[आजीवन कारावास] से, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या तीन वर्ष तक के कारावास से, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या जुर्माने से दंडित किया जाएगा । स्पष्टीकरण 1–अप्रीति पद के अंतर्गत अभक्ति और शत्रुता की समस्त भावनाएं आती हैं । स्पष्टीकरण 2–घॄणा, अवमान या अप्रीति को प्रदीप्त किए बिना या प्रदीप्त करने का प्रयत्न किए बिना, सरकार के कामों के प्रति विधिपूर्ण साधनों द्वारा उनको परिवर्तित कराने की दृष्टि से अननुमोदन प्रकट करने वाली टीका-टिप्पणियां इस धारा के अधीन अपराध नहीं हैं । स्पष्टीकरण 3–घॄणा, अवमान या अप्रीति को प्रदीप्त किए बिना या प्रदीप्त करने का प्रयत्न किए बिना, सरकार की प्रशासनिक या अन्य व्रिEया के प्रति अनुमोदन प्रकट करने वाली टीका-टिप्पणियां इस धारा के अधीन अपराध गठित नहीं करती ।CLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।