धारा 28 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 28 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति एक चीज को दूसरी चीज के सदृश दिखना इस आशय से कारित करता है कि वह उस सादृश्य से छल / कपट करे, या यह संभाव्य जानते हुए करता है कि तद्द्वारा छल / कपट किया जाएगा, उसे कूटकरण करना कहा जाता है। स्पष्टीकरण 1 – कूटकरण के लिए यह आवश्यक नहीं है कि नकल ठीक वैसी ही हो। स्पष्टीकरण 2 – जब कि कोई व्यक्ति एक चीज को दूसरी चीज के सदृश कर दे और सादृश्य ऐसा है कि तद्द्वारा किसी व्यक्ति को धोखा हो सकता हो, तो जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न किया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि जो व्यक्ति एक चीज की दूसरी चीज के इस प्रकार सदृश बनाता है उसका आशय उस सादृश्य द्वारा छल / कपट करने का था या वह यह सम्भाव्य जानता था कि तद्द्वारा छल / कपट किया जाएगा।CLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।