विवरण
(1) हिन्दू विवाह उसमें के पक्षकारों में से किसी के रूढ़िगत आचारों और संस्कारों के अनुरूप अनुठित किया जा सकेगा। (2) जहाँ कि ऐसे आचार और संस्कारों के अन्तर्गत सप्तपदी है (अर्थात् अग्नि के समक्ष वर और वधू को संयुक्त सात पद लेना है) वह विवाह पूरा और बाध्यकर तब हो जाता है जबकि सातवाँ पद पूरा किया जाता है |CLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।