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How To Get Divorce In Seven Months.

Divorce तलाक़ या विवाह विच्छेद aap jo चाहे कहे, परन्तु जब परिस्थितियाँ हाथ से निकल जाती है तो पति-पत्नी का एक दूसरे के साथ रहना मुश्किल हो जाता है,फिर चाहे आपने love marriage ki ho ya arrange marriage तब इन्ही शब्दों को जानने समझने की जरुरत पड़ती है।

Separation Matlab पति पत्नी का एक दूसरे से alag ho jana hamesha hi दुःख देने वाला होता है। मगर फिर भी ईश्वर ने हमको एक ही जीवन दिया है जिसको हमको अपने हिसाब से अपनी ख़ुशी से जीने का अधिकार है।

इसलिए यदि दोनों या कोई एक अब आगे एक दूसरे के साथ, पति-पत्नी के रूप में नहीं रहना चाहता तो बेहतर है की वो divorce le aur alag-alag apni jindagi apni sharto ke hisaab se jiye तथा ख़ुशी से व्यतीत करें।

अब जब बात मर्ज़ी की आती है तो यहाँ कानून बीच में आ जाता है।

जहा शादी के समय आपकी सहमति से आप किसी से भी तुरंत शादी कर लेते है, वही जब बात डाइवोर्स की आती है तो वहॉँ आपकी मर्ज़ी नहीं कोर्ट की मर्ज़ी चलती है।

और भारत (India) में कोर्ट कैसे काम करता है वो आपको सनी देओल की फिल्म दामिनी के मशहूर डायलॉग ( तारीख पे तारीख मिलती है जज साहब इन्साफ नहीं मिलता ) से समझ आ गया होगा।

तो आइये जानते है सात महीनो के भीतर डाइवोर्स कैसे प्राप्त करे। How to get divorce in seven months.

आपको बता दे की यहाँ हम “हिन्दू विवाह अधिनियम १९५५” ( Hindu Marriage Act 1955) के कानूनी प्रावधानों अनुसार जानकारी देने वाले है यदि आप किसी और धर्म के है तो भी आप इस पोस्ट में बताये गए तरीके से जल्द से जल्द Quick Divorce ले सकते है। इसलिए पोस्ट को पूरा पढ़े।

आपको बता दे की डाइवोर्स दो तरह से लिया जा सकता है :-

  1. आपसी सहमति से तलाक़ / Mutual consent Divorce.
  2. बिना आपसी सहमति के तलाक़/ Without mutual consent.

Mutual consent Divorce

इसमें दोनों पक्ष यानि Husband and Wife Mutual Consent से यानि आपसी सहमति से Divorce Petition File करते है जिसके बाद कोर्ट यदि आपकी पिटीशन से मतलब मुक़दमे से संतुष्ट हो जाता है तो वो आप दोनों का डाइवोर्स Allow कर देगा।

ऐसा तभी होता है जब आपने कोई एक्सपर्ट वकील की सेवा ली हो और आपकी डाइवोर्स पिटीशन इतनी मज़बूत हो की कोर्ट को कोई कारण न मिले की आपको डाइवोर्स जल्द क्यों न दिया जाए। एक्सपर्ट वकील कैसे ढूंढे जानना चाहते है तो यहाँ क्लिक करे

आप बिल्कुल परेशान ना हो अगर कोर्ट आपको speedy justice delivered नहीं करता तो ।

वैसे अधिकतर मामलो में कमज़ोर तलाक़ याचिका (Weak Divorce Petition) होने के कारण कोर्ट 6 month (छः माह ) की एक डेट लगाता है। और यदि 6 माह बाद भी पति-पत्नी अपनी याचिका ( Divorce Petition ) वापस नहीं लेते और अब भी डाइवोर्स लेना चाहते है तो कोर्ट आपको डिग्री मतलब Final Judgement या Divorce Granted की Decree का आर्डर दे देगा और Order की डेट से पति- पत्नी husband-and-wife nhi rahenge. उसी दिन से दोनों Divorcee या तलाकशुदा कहलायेंगे।

आप सोच रहे होंगे की ये वाला तलाक़ मतलब, आपसी सहमति से तलाक़ तो कोई भी ले सकता है इसमें नया क्या है ?

हम जिस तलाक़ को Seven Month Mein लेने की बात कर रहे है वो है नंबर 2 यानि Without Consent Divorce. इस प्रकार के तलाक़ के दावे में सालो लग जाते है और कोई गारंटी नहीं की सालो बाद भी आपको डाइवोर्स मिलेगा या आपका केस कोर्ट खारिज/Reject कर दे।

आइये जानते है। How to get a divorce under seven month. बिना आपसी सहमति के।

Bina sahmati ke talaq लेने के लिए आपको अपने दाम्पत्य साथी के बारे में साबित करना पड़ता है कि आप उसके साथ नही रह सकते। और ना सिर्फ तलाक़ लेने का कारण बताना पड़ेगा बल्कि आपको अपनी कही गई बात को अदालत के सामने Prove भी करना पड़ेगा। 


जब आप अपनी कही बात को कोर्ट के सामने साबित करने का प्रयास करेंगे तो ऐसी सूरत में क्योंकि आपका साथी आपसे तलाक़ नही लेना चाहता इसलिए वो आपकी कही हर बात को गलत साबित करने की कोशिश करेगा। 

ऐसी स्थिति होने पर कानूनी दांव – पेचों में आपका केस फंस जाएगा और तब आप शायद, सालो बाद तलाक़ ले पाए, या ना भी ले सके।


आप यकीनन, कभी नही चाहेगे की आपको तलाक़ के लिए सालो साल Wait karna pade. 
अब हम बताते है कि आप सबसे बड़ी गलती क्या करते है जिसकी वजह से आपको एक तरफा तलाक़ (one sided divorce)जल्दी नही मिलता।

अक्सर होने वाली गलती।

पति या पत्नी जब किसी भी कारण से डाइवोर्स लेने का फैसला करते है तो वो तुरंत कोर्ट जाते है और वकीलो से सलाह करते है ।


वकील साहब हो या हो कोई Advocate ya Lawyer या हिंदी में कहे तो अधिवक्ता वो कभी भी नही चाहेंगे कि आप वापस घर जाए बिना केस फ़ाइल करे। क्योंकि अगर आपको वकील साहब ने घर भेज दिया तो उनको मतलब आपके Advocate सहाब को फीस कौन देगा ।

इसलिए वो आपको जल्दी से केस फ़ाइल करने के फायदे बताएंगे और चाहेंगे कि आप फटाफट केस फ़ाइल करे। आप भी क्या करेंगे जब वकील साहब ने बोल दिया तो आप भी केस फ़ाइल कर देंगे ।

बस ये जो तुरंत डाइवोर्स केस आपने फ़ाइल किया वो ही आपकी सबसे बड़ी गलती होंगी। इस जल्दी के कारण जहा आपके वकील साहब को सालो मोटी फीस वसूलने का मौका मिल जाएगा वही दूसरी तरफ आपको तलाक़ मिलने में सालो लगेंगे और ये भी हो सकता है कि आपको तलाक़ मिले ही ना।


Why Early Divorce Filling Is Harmful.जल्दी तलाक का मुकदमा डालना क्यों घातक है।

जब भी आप अपने साथी से तलाक लेने का मन बनाते है तो तुरंत मुकदमा दायर करने की कोशिश करते है, और जब आपका मुकदमा दायर हो जाता है तब आप मुकदमा जल्दी और पक्ष में करने वाली सबसे जरूरी चीज यानी कि Evidence सबूतों की तलाश करते है । 
सबूत अपनी बात कोर्ट में साबित करने के लिए सबसे जरूरी होता है।

बिना evidence ke aap apna case kabhi prove hi nhi kar सकते। 

क्योंकि आप जल्दबाज़ी में केस फ़ाइल कर चुके होंगे तो अब आपका पार्टनर यानी आपका पति या पत्नी जान चुका होगा कि आपने केस फ़ाइल कर दिया है।

इसका नुकसान ये होगा कि अब वो आपको कोई ऐसा सबूत या एविडेन्स नही देगा जो आपको जीत दिला सकता था।

 
अब ये तो आपको बताने की जरूरत नही की बिना गवाह और सबूतों के कोई कोर्ट केस नही जीता जा सकता।

अदालत भी सबूतों के आने के intezaar में कई सालो तारीख पे तारीख लगाती रहेगी, और आपको सालो साल तक इंसाफ नही मिलेगा। (How To Win Any Court Case.)

 
जल्दी Divorce लेना है तो। …If You Want Quick Divorce

मुकदमे से पहले सबूत और गवाह जमा कीजिये।
ये वो पहले काम है जो आपको तलाक़ लेने का मन बनाते ही करना शुरू कर देना चाहिए। अब अगर आपने सबूत और गवाह पहले ही ढूंढ लिए तो आपको जल्दी तलाक़ लेने से कोई नही रोक पाएगा।

 
इसलिए याद रहे, पहले सबूतों गवाहों को तलाशे बाद में दूसरे नंबर पर तलाक़ पेटीशन/Case फ़ाइल करे ।

आइये अब आपको बताते है कि वो कौनसे सबूत और गवाह यानी Evidence and Witnesses है जिनको आपको मुकदमा करने से पहले ढूंढना है। 

आपको अब पहले ये देखना होगा कि तलाक़ लेने के क्या आधार है। क्योंकि कानून में लिखित जो आधार है, उन्ही Legal Basis के तहत आप डाइवोर्स ले सकते है। अब अगर आपको तलाक़ लेने के कानूनी आधारों के बारे में पता होगा तो ये समझने में आपको ज़रा भी देर नही लगेगी की आपके केस में आप कौन-सा आधार लेंगे ।

जब आप अपने तलाक़ लेने के किसी एक या अधिक आधारों को चुन लेंगे ।
तब आप उन तलाक़ लेने के आधार या आधारों को कोर्ट में साबित करने के लिए गवाह वा सबूत जमा कर पाएंगे।

तो आइए आपको बताते है तलाक लेने के लिए कौन-कौन से कानूनी आधार होते है। 

1. Adultery/जारता

जब पति या पत्नी के रहते हुए पति- पत्नी में से कोई भी किसी और पुरुष या स्त्री से संभोग करता है तो उसे जारता कहते है। इसको साबित करने के लिए परिस्थितियों जनित साक्ष्य/Evidence ही पर्याप्त होता है। 

2. Cruelty/क्रूरता

जब पति या पत्नी कोई भी एक दूसरे को शारीरिक या मानसिक पीड़ा देते है । तो उसे क्रूरता कहा जाता है। 

3. Desertion/अभित्यजन

अभित्यजन मतलब पति या पत्नी ने कम से कम 2 वर्षो से अपने साथी को छोड़ रखा हो तो ऐसी सूरत में तलाक की अर्जी दी जा सकती है।

4. Conversion/ धर्म-परिवर्तन

जब पति या पत्नी में से कोई एक धर्म परिवर्तन द्वारा हिन्दू ना रह गया हो तो तलाक लिया जा सकता है। 

5. Unsoundness of mind/ मानसिक विकृतता

विवाह का कोई भी पक्ष लाइलाज रूप से Unsound हो तो भी डिवोर्स लिया जा सकता है।

6. Leprosy/कोढ़ 

ये बीमारी भी तलाक का एक आधार है।

7. Venereal disease/यौन रोग

ये भी एक divorce ka adhar hai.

8. Renunciation/संसार-परित्याग

जब Marriage का कोई पक्ष पूरे विधि विधान से संन्यास ले लेता है तो दूसरा पक्ष तलाक़ ले सकता है। Ya Marriage Ko Dissolve Kara sakta hai

9. Absconded since seven years.सात वर्षों तक लापता रहना।


जब पति-पत्नी में से कोई भी सात सालों तक लापता रहता है तो दूसरा पक्ष तलाक़ ले सकता है।

10. Judicial separation/न्यायिक पृथक्करण।

न्यायालय ने जुडिशल सेपरेशन की डिग्री पारित कर दी हो और पति पत्नी एक वर्ष तक अलग रहे हो (अलग से मतलब कोई संभोग दोनो के बीच न हुआ हो ) तो तलाक़ लिया जा सकता है। इस आधार पर विवाह का कोई भी पक्ष तलाक़ की मांग कर सकता है।

11. Restitution of conjugal right order not followed. दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के आदेश को ना मानना।

जब कभी न्यायालय Restitution ऑफ कंजुगल राइट के मामले में आर्डर पास करता है और पक्षकार 1 वर्ष तक भी उसको नही मानते तो इस केस के वादी को तलाक का मुकदमा दायर करने का अधिकार मिल जाता है। 

अब कुछ तलाक के आधार नीचे दिए गए है जो सिर्फ पत्नी को प्राप्त है। जैसे:-

1. पति द्वारा दूसरा विवाह।

जब पति first wife ke rehte hue second marriage kar leta hai to पत्नी विवाह विच्छेद हेतु कोर्ट जा सकती है।

2. पति द्वारा unnatural sex karne par.

2.1 जब पति ने बलात्कार जैसा कोई अपराध क्या हो। (Rape crime)
2.2. गुदा मैथुन का अपराध किया हो (Anal sex)
2.3. Animal husbandry/ पति ने पशुगमन का अपराध किया हो।

3. Maintenance order against husband.

भरण पोषण का आदेश पति के खिलाफ पास हुआ हो तो।इस सूरत में भी पत्नी तलाक की अर्जी दाखिल कर सकती है।

4. Puberty option/यौवन का विकल्प।

जब कोई स्त्री 15 वर्ष की होने से पहले विवाह बंधन में बांध दी गई हो और उसने 18 वर्ष की आयु पूरी करने से पहले विवाह को निराकृत (Repudiate) कर दिया हो। तो पत्नी विवाह विच्छेद की याचिका प्रस्तुत कर सकती है।


महिलाओ को जानना चाहिए कि यदि वो किसी भी कारण से पति से तलाक लेना चाहती है तो वो ले सकती है। कानून में महिलाओं के लिए कुछ खास प्रबंध है जिनसे आप ना सिर्फ अपने पति से तलाक ले सकती है बल्कि तलाक के मुकदमें के दौरान तथा तलाक होने के बाद भी आजीवन पति से भरण पोषण के रूप में अपना या अगर आपके बच्चे है तो उनका प्रति माह के हिसाब से या एकमुश्त खर्चा पैसो के रूप में ले सकती है।

आपके पति आपको खर्चा देने को कानूनन इनकार नही कर सकते क्योंकि खर्चा कोर्ट के आदेश से आपको मिलेगा जो समय के हिसाब से बढ़ता रहता है। और यदि आपके पति खर्च नही देते तो उनको जेल जाना पड़ सकता है।

इसलिए आपको अपने खर्च की भी चिंता करने की जरूरत नही है। भरण पोषण हेतु खर्चा आप बिना तलाक़ का मुकदमा डाले भी कोर्ट द्वारा ले सकती है। और तलाक के मुकदमे दौरान भी या उसके बाद भी ,ये आपका अधिकार है कोई भीख नही।”

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अब definitely aapne ऊपर दिए गए आधारों में से अपने केस में इस्तेमाल हो सकने वाले आधारों को चुन लिया होगा। 

अब बस आपको आपके द्वारा चुने गए आधारों को साबित करने के लिए सबूत या गवाह ढूंढने है। 
सबूत या गवाह ढूंढना इस समय आपके लिए बहुत आसान है क्योंकि आप तलाक़ लेने जा रहे है, ये बात आपके साथी को नही पता।

इस कारण आप आसानी से Evidence collect कर सकते है। अब आपके पास तलाक़ का ना सिर्फ आधार होगा बल्कि उस आधार को Prove करने के लिए सबूत भी होगा।

आइये अब जानते है। की आप कैसे सबूत और गवाह जमा कर सकते है। How to collect Evidence and witness.

कोई भी कोर्ट केस हो उसमें अलग-अलग Situation होती है इसलिए आपको कुछ Examples देकर आपको बताते है सबूत जमा करने के तरीके।

Adultery/Example. 

उदहारण के लिए आपने अपने केस में जारता (Adultery) को चुना है तो आप अपने साथी के कुछ फोटो वीडियो या message या कोई पत्र E-mail बैंक Transaction को सबूतों के रूप में Collect कर सकते है। और यदि जारता का कोई गवाह है मतलब जिसने आपके Marital Partner को जारता करते या किसी और के साथ घूमते या कोई और घटना होते देखा है तो वो आपका गवाह हो सकता है। 

Cruelty /Example 

For Example If You Choose Cruelty for your Divorce ground तो आप अपने साथ हुए अत्याचार का वीडियो फ़ोटो तैयार करे। और यदि कभी कोई शारीरिक चोट लगे तो डॉक्टर से मेडिकल बनवाए या पुलिस को कॉल करा हो तो कब कॉल करा है याद रखे। बाद में आपकी कॉल का लिखित रिकॉर्ड आपके वकील साहब RTI से निकाल लेंगे। यहाँ भी आप अपने साथ हुए अत्याचार को देखने वाले को अपना गवाह बना सकते है।

 
तो देखा आपने कैसे Aapne तलाक़ के न सिर्फ आधार को पहचाना बल्कि आपने उसको साबित करने के लिए पहले से ही सबूत और गवाह भी जमा कर लिए। 


अब समय है एक एक्सपर्ट वकील ढूंढने का जो आपका केस concern family court mein file kare वो भी आपके जमा किये सबूतों और गवाहों के साथ। अब आपको अदालत भी टाल नही सकती क्योंकि आपके पास केस को जल्दी वा अपने पक्ष में करने के लिए पर्याप्त सबूत पहले से ही मौजूद है। 

अब आपको 7 माह के अंदर ही एक तरफा यानी बिना आपसी सहमति के भी तलाक़ मिलने की प्रबल संभावना है। 


उम्मीद है आपको ये पोस्ट पसंद आई होगी कोई सुझाव या सवाल हो तो कमेंट जरूर करे। और यदि किसी भी प्रकार की फ्री कानूनी सलाह चाहिए या आप ग़ाज़ियाबाद में वकील करना चाहते तो यहाँ क्लिक करे। धन्यवाद।

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