धारा 389 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 389 के अनुसार, जो भी कोई जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को, स्वयं उसके विरुद्ध या किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध यह ऐसे अपराध (जिसकी सज़ा मॄत्यु दण्ड या आजीवन कारावास, या दस वर्ष तक कारावास है) का आरोप लगाने का भय दिखलाएगा या भय दिखलाने का प्रयत्न करेगा कि उसने ऐसा अपराध किया है, या करने का प्रयत्न किया है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा; तथा यदि वह अपराध ऐसा हो जो इस संहिता की धारा 377 के अधीन दण्डनीय है, तो उसे आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा । लागू अपराध किसी व्यक्ति को अपराध (जिसकी सज़ा मॄत्यु दण्ड या आजीवन कारावास, या दस वर्ष तक कारावास है) का आरोप लगाने का भय दिखलाना। सजा – दस वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड। यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यदि अपराध अप्राकृतिक संभोग (धारा 377 के अधीन दण्डनीय) है। सजा – आजीवन कारावास। यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।CLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।