धारा 223 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 223 के अनुसार, जो कोई लोक सेवक होते हुए, ऐसे लोक सेवक के नाते किसी व्यक्ति जो अपराध के लिए आरोपित या दोषसिद्ध या, अभिरक्षा में रखे जाने के लिए विधिपूर्वक सुपुर्द किया गया हो को परिरोध में रखने के लिए वैध रूप से आबद्ध हो, उपेक्षा से उस व्यक्ति का परिरोध में से निकल भागना सहन करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास से जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा। लागू अपराध लोक सेवक द्वारा उपेक्षा से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना। सजा – दो वर्ष सादा कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों। यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।CLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।