धारा 508 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 508 के अनुसार, जो कोई किसी व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके, या उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करके, कि यदि वह उस बात को न करेगा, जिसे उससे कराना अपराधी का उद्देश्य हो, या यदि वह उस बात को करेगा जिसका उससे लोप कराना अपराधी का उद्देश्य हो, तो वह या कोई व्यक्ति, जिससे वह हितबद्ध है, अपराधी के किसी कार्य से दैवी अप्रसाद का भाजन हो जाएगा, या बना दिया जाएगा, स्वेच्छया उस व्यक्ति से कोई ऐसी बात करवाएगा या करवाने का प्रयत्न करेगा, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध न हो, या किसी ऐसी बात के करने का लोप करवाएगा या करवाने का प्रयत्न करेगा, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से हकदार हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा । दृष्टांत (क) क, यह विश्वास कराने के आशय से य के द्वार पर धरना देता है कि इस प्रकार धरना देने से वह य को दैवी अप्रसाद का भाजन बना रहा है । क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है । (ख) क, य को धमकी देता है कि यदि य अमुक कार्य नहीं करेगा, तो क अपने बच्चों में से किसी एक का वध ऐसी परिस्थितियों में कर डालेगा जिससे ऐसे वध करने के परिणामस्वरूप यह विश्वास किया जाए, कि य दैवी अप्रसाद का भाजन बना दिया गया है । क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है ।CLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।