धारा 176 आईपीसी (IPC Section 176 in Hindi) – सूचना या इत्तिला देने के लिए कानूनी तौर पर आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना या इत्तिला देने का लोप।

धारा 176 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 176 के अनुसार, जो भी कोई किसी लोक सेवक को, ऐसे लोक सेवक के नाते किसी विषय पर कोई सूचना देने या इत्तिला देने के लिए कानूनी तौर पर आबद्ध होते हुए, विधि द्वारा अपेक्षित प्रकार से और समय पर ऐसी सूचना या इत्तिला देने का साशय लोप करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास की सजा, जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या पांच सौ रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा, अथवा, यदि दी जाने वाली अपेक्षित सूचना या इत्तिला किसी अपराध के किए जाने के विषय में हो, या किसी अपराध के किए जाने का निवारण करने के प्रयोजन से या किसी अपराधी को पकड़ने के लिए अपेक्षित हो, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास की सजा, जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा, अथवा, यदि दी जाने के लिए अपेक्षित सूचना या इत्तिला आपराधिक दण्ड संहिता, 1898 (1898 का 5) की धारा 565 की उपधारा (1) के अधीन दिए गए आदेश द्वारा अपेक्षित है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास की सजा, जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।   लागू अपराध 1. सूचना या इत्तिला देने के लिए कानूनी तौर पर आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना या इत्तिला देने का साशय लोप। सजा – एक महीने कारावास या पांच सौ रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों। यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। 2. यदि दी जाने वाली अपेक्षित सूचना या इत्तिला किसी अपराध होने के विषय में हो। सजा – छह महीने कारावास या एक हजार रुपए रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों। यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। 3. यदि दी जाने वाली अपेक्षित सूचना या इत्तिला इस संहिता की धारा 565 की उपधारा (1) के अधीन दिए गए आदेश द्वारा अपेक्षित है। सजा – छह महीने कारावास या एक हजार रुपए रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों। यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

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