धारा 466 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 466 के अनुसार, जो कोई ऐसे दस्तावेज की या ऐसे इलैक्ट्रानिक अभिलेख कीट जिसका कि किसी न्यायालय का या न्यायालय में अभिलेख या कार्यवाही होना, या जन्म, वपतिस्मा, विवाह या अन्त्येष्टि का रजिस्टर, या लोक सेवक द्वारा लोक सेवक के नाते रखा गया रजिस्टर होना तात्पर्यित हो, अथवा किसी प्रमाणपत्र की या ऐसी दस्तावेज की जिसके बारे में यह तात्पर्यित हो कि वह किसी लोक सेवक द्वारा उसकी पदीय हैसियत में रची गई है, या जो किसी वाद को संस्थित करने या वाद में प्रतिरक्षा करने का, उसमें कोई कार्यवाही करने का, या दावा संस्वीकॄत कर लेने का, 1 2000 के अधिनियम सं0 21 की धारा 91 और पहली अनुसूसूची द्वारा (17-10-2000 से) अंतःस्थापित । 2 2000 के अधिनियम सं0 21 की धारा 91 और पहली अनुसूची द्वारा (17-10-2000 से) कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित । भारतीय दंड संहिता, 1860 88 1[स्पष्टीकरण–इस धारा के प्रयोजनों के लिए, रजिस्टर के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (द) में परिभाषित इलैक्ट्रानिक रूप में रखी गई कोई सूची, डाटा या किसी प्रविष्टि का अभिलेख भी है ।CLICK HERE FOR FREE LEGAL ADVICE. मुफ्त कानूनी सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें ।